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10:16, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
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<poem>
लुगाइयां
उगेर्या है गीत
टेरी है बनड़ी
खुसी मांय कूदण लाग्यो है
घर रो कूणो-कूणो
पण
उच्छब रै इण कारै मांय
घर रो धणी
डूब्यो है
चिंतावां मांय
बीं रै कानां मांय तो
गीतां री भणकार
कदे-कदे ई पड़ै
थोड़ी-थोड़ी ।
</poem>
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