701 bytes added,
10:37, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सच्चाई खातर
म्हैं अेक कुमाणस स्यूं लड़्यो
ईं मांय म्हनै जित्ती खुसी हुई बित्ती
कई सालां स्यूं
कीं काम कर‘र नीं हुई ही
म्हनै लाग्यो -इस्सी खुसी
सच्चाई री
लड़ाई लड़्यां ई
मिल सकै ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader