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10:47, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
नसो सिरफ
सराब-अफीम आद रो ई
नीं हुवै
नसो
सत्ता
धन
जोबन
अर हुनर रो भी हुवै
नसै मांय आदमी नै
सम्भळ’र
चालण री
लोड़ रैवै ।
</poem>
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