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11:06, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
अेक ठाडै आदमी री
‘इन्डिका’ स्यूं उतरतो
म्हारो अेक सागड़दी
म्हनै भौत ठाडो लाग्यो
ठा नीं
ओ म्हारी निजर रो
भ्रम हो कै
सागड़दी माथै
ठाडै आदमी रो असर ।
</poem>
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