''आजकल कोश पर क्या कर रहा हूँ?''
आजकल, बकौल जनविजय जी, मुक्तिबोध को बिना पूछे चांद का मुँह टेढ़ा कर रहा हूँ। असल में आजकल अज्ञेय
की 'कितनी नावों में कितनी बार' टाइप कर रहा हूँ, उसे लायब्रेरी को लौटानी लौटाने की जल्दी है। बाद में मुक्तिबोध
की किताब पूरी करूँगा।