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प्रिये आया ग्रीष्म खरतर... / कालिदास
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[[Category:संस्कृत]]
प्रिये ! आया ग्रीष्म खरतर!
सूर्य भीषण हो गया अब,चन्द्रमा स्पृहणीय सुन्दर
दीर्घ तप्त निदाघ देखो, छा गया कैसा अवनि पर
प्रिये ! आया ग्रीष्म खरतर!
अनिल जनविजय
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