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पाँच-पाँच पनवाँ के बिरवा त बिरवा सोहामन जी / मगही
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10:43, 11 जून 2015
अजी धनि, लरिके मैं गवना करइती, विदेस चलि जइती, बिरही नहीं सुनती जी॥11॥
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Sharda suman
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