Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
|अनुवादक=
|संग्रह=जतरा चारू धाम/सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>
मोक्षधाम चारू घुमि फिरि अहँ फेर फिरब निज गाम
जहि ठाँ चतुर्वर्ग फल निर्भर स्वर्ग न जकर उपाम।।44।।

कमला वाग्मती जल सिंचित गाम - टोल लगिचाय
देश दर्शन क कथा सरुचि शुचि सबकेँ देब सुनाय।।45।।

भारतीय नागरिक निपुण अहँ, विदित मैथिले नाम
पतरा मे जतराक सगुन फल पायब अपनहि गाम।।46।।

जीवन जतरा बनल सगुन गुनि लोक वेद अभिराम
भारत भूमिक दरस परस हित देखल चारू धाम।।47।।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits