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ये लम्बी अजीबो-गरीब यात्राएँऔर लकड़ी के खोखे, बाँज के बजते हुए गाछजहाँ-तहाँ मकान और उठते-गिरते शटरचिल्लाती हुई छोटी नटखट लड़कियाँ‘क्या तुम भी’, प्यार में उसने पूछा,‘क्या तुम सोचते हो कि मुझे सन्देह है’।समय बीतता रहारात और रात की नींद मेंधूल जमती रहीअदृश्य या अचानक प्रकट हुएइंजनों का हुजूमरेल के इंजनों का दहकता हुआ कोयलाआधे दिखते हुए काले लोहे के ऊँचे-ऊँचे टाललगातार धुँआ छोड़तेऔर शंटिंग करते हुए इंजन,हाँफती या चीखती-चिल्लाती भीड़हथौड़ों की चमकऔर नौजवानों की क्रियाशील भुजाएँहिलते-डुलते कन्धे, दाँत, काले-कलूटे चेहरेपहियों के बीच तेज और क्रोधितफुफकारती हुई भाप में डिब्बों को काटते हुएठण्डी जगमगाहट में रेल-पथ को पकड़ते हुएअन्धेरे इंजनों को किनारे करते हुएसहजता से साथी की ओर सिगरेट बढ़ाता हुआबगल में झण्डी दबाए सिगनलमैनचिल्लाता था -- ‘फिर इर्कुतस्क से लेट है’‘तुम यहाँ थे वास्का के तलाक पर !’खड़ा था मैं पूरी तरह जैसा कि अबघूरते और याद करते हुएतेल के धब्बेदार कोट पहिन करलापरवाह कदमों से पटरियों को पार करताकि वह व्यक्ति जिसके हाथ में सूटकेस हैझूठमूठ सोचा मैंने कि जनपद छोड़ दिया होगा उसनेमैं उसके क़रीब गया और दबी आवाज़ में बोला,‘मैं समझता हूँ कि एक बार फिर समझना चाहिए हमेंएक-दूसरे को’मैंने उससे कहाहम हँसेवोफ़्का की तरह(‘रॉबिन्सन क्रूसो’ सिर्फ उसी के पास नहीं है)झूठ और झगड़े और मिलते-जुलते मजाकवोफ़्का उसे रहना चाहिएक्या तुम्हें याद है पेत्का का प्रतिकारऔर उस अस्पताल में गाते हुए सैनिकऔर उस छोटी-सी लड़की से शादी कर रहे थे तुममैं सोचता हूँ --समय-समय पर बात करनी चाहिए हमेंचीज़ों के बारे मेंख़ुशियों और दुखों के बारे में एक-दूसरे से‘तुम थक गए वोफ़्का !जल्दी लौट आना चाहिए तुम्हें काम सेओह, यह सब छोड़ो नदी तक आओरात की छायाओं से घिरा है रास्तावनस्पतियों की छाया मेंजूतों और बूटों और नंगे पैरों के निशानसुर्ख फूलों के झाड़-झंखाड़नए और कोमल पत्ते’निश्चिन्त और सहज ढंग से कह रहा था मैंआगे बढ़ते हुएउसने सुना चुपचाप और जवाब मेंकोई जवाब नहीं दियाहम दोनों ढालू पगडण्डियों पर थेऊँची और घनी घासों के बीहड़भीगी हुई लकड़ियाँबालू और मछलियों की गन्धनदी बाँधते मछुआरेआग और धुआँहम नदी के साँवले दयारों में उतरेवह चिल्लाया कुछ कहते हुएऔर यकायक भूल गया बिना वजह केआग्रह और याद के विरोध मेंहम नदी किनारे चाँदनी में बैठेविचारों में घूमते हुएचट्टानों से टकराते पानी की तरह ।कहीं हमारे आस-पास खेतों मेंघोड़े घूम रहे थे धूल मेंमैंने सोचा मेरा विचार देखा जा रहा है दूर सेअपराध-बोध !‘अकेले नहीं हो तुम’ वोफ़्का ने कहा,‘यह समय है विचारशील लोगों के लिए’अपना सलवटें पड़ा कोट पहिनोइस तरह न बैठोआखिर कैसे आदमी हो तुमचीजों की पहचान हो गई हैसमय है समय की सीमाओं मेंहमें केवल सोचना होगा ।‘जल्दी है क्या’वह मैदान से उठाहाँ, कुछ है करने के लिएमुझे घर जाना है‘सुबह के आठ बज रहे हैं मेरे लिए इस समय’ऐसा हुआहर चीज़ ताज़ा दिखाई दीरात ख़त्म हुई कुछ न होने के लिएथोड़ा सर्दी थीलोग रंग में थेबारिश की हल्की फुहारों मेंवह और मैं साथ घूमते रहे अकेलेकहीं आत्मसन्तुष्ट पनक्रातफ़घूम रहा था जीप मेंशान्त मोटा अध्यक्षअपनी छड़ी के साथ प्रसन्नओस की बिखरी हुई बड़ी बूँदों के बीचनंगे पाँव : ज़िद्दी मूर्ख लड़काविशेष कुछ न थान ठण्डा, न गरमदूसरे दिनों जैसा दिन थालेकिन आसमान में कबूतरों का झुण्ड ख़ुश थामैंने नौजवान दूर जाता हुआ देखामैंने महसूस किया दर्द कोसाफ-सुथरा दर्दशायद मैंने अनुभव हासिल कियाऔर जानना चाहता हूँ जो नहीं जाना अब तकदोस्त को वोद्का पिलाई मैंनेऔर ज़ीमा जंकशन से होते हुएएक बार फिर दौड़ने लगायह भी दूसरे दिनों जैसा दिन थामैदान की हरे रंग की उदासियों के ख़िलाफ़फड़फड़ा रही थी पेड़ों की प्रतिभाकाँप रही थीकुछ लड़के पत्थर फेंक रहे थे दीवार परमोटर गाड़ियों का रेला खिसक रहा थागायों और फलों के आसपासबाज़ार में औरतें थींदुखी और स्वच्छन्दमैं आख़िरी मकान से गुज़रासूरज चढ़ गया था पहाड़ की चोटी परदेखता हुआपार स्टेशन की इमारतोंखेतों में बने मकानोंभूसे के ढेरों को ।‘ज़ीमा जंकशन’ ने आवाज़ दी मुझे,कहा --‘मैं चुपचाप रहता हूँचटकने वाली गुठलियों की तरहसौम्यता से इंजनों का धुँआ छोड़ता हुआलेकिन दूर नहीं हूँ समय की प्रक्रियाओं सेयह समय मेरे प्रिय विचारचिन्तित न रहोजिज्ञासा, अन्तर्विरोध और सृजन मेंअकेले नहीं हो तुमचिन्ता न करोज्वलन्त सवालों का जवाब यदि तुम्हारे पास नहीं हैइस समयकोशिश करो, सोचो, सुनो,खोजो संसार में घूमते हुएये सच है किबौद्धिक सहजता के बिनाख़ुशियों का अस्तित्व नहींशान्त गर्व से घूमोबढ़ते हुएव्यापक और सचेत दृष्टि सेबारिश की बूँदों को सिर से झाड़ते हुएचीड़ों की पैनी पत्तियों कोआँखों की चमकजो आँसुओं और बिजलियों की धमक के साथ हैप्यार करो लोगों कोरुचि लो, इसे अपने विवेचन मेंयाद रखना मुझेदेखता रहूँगा मैंतुम लौट कर आ सकते हो मेरे पासअब जाओ’मैं गया और अभी तक जा रहा हूँ ।
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