'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामदरश मिश्र |संग्रह=दिन एक नदी ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=रामदरश मिश्र
|संग्रह=दिन एक नदी बन गया / रामदरश मिश्र
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<poem>
सावधान
चूहे फिर उतरा गये हैं सड़क पर
जल्दी ही घरों में प्रवेश करेंगे
अपनी-अपनी किताबें सँभाल लो
ये गोदाम या तिजोरी नहीं काटते
केवल किताबें काटते हैं
क्योंकि उनमें इनसे बचने
या मारने के उपाय लिखे होते हैं।