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बतूता का जूता / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
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11:57, 29 जून 2008
थोड़ी हवा नाक में घुस गई<br>
घुस गई थोड़ी कान में<br>
कभी नाक को, कभी कान को<br>
मलते इब्नबतूता<br>
इसी बीच में निकल पड़ा<br>
उनके पैरों का जूता<br>
उड़ते उड़ते जूता उनका<br>
जा पहुँचा जापान में<br>
इब्नबतूता खड़े रह गये<br>
मोची की दुकान में।
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Dr.jagdishvyom