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17:47, 27 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धीरेंद्र कुमार यादव
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बंदर जी अखबार पुराना,
उठा कहीं से लाए।
कहा गधे से ‘आओ तुमको
खबरें नई सुनाएँ।’
बोले, ‘बस गिर गई खड्ड में,
मरे मुसाफिर सारे।
सुनो सुनाता हूँ, आगे-
दुनिया की खबरें प्यारे।’
बात काटकर गदहा बोला,
बंदर से इस बार-
‘हिंदी में पढ़ते हो बाबू,
इंगलिश का अखबार।’
</poem>