636 bytes added,
18:30, 27 सितम्बर 2015 {{KKRachna
|रचनाकार=नवीन सागर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>सावन का झूला इस बार
इतना बड़ा डालना
जिसमें समा जाए संसार।
उस डाली पर
जो फैली है आसमान के पार
उस रस्सी का
कोई न जिसका पारावार!
एक पेंग में मंगल ग्रह के द्वार
और दूसरी में
इकदम से अंतरिक्ष के पार!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader