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01:37, 28 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विश्वदेव शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>जादू के डिब्बे-सा हमको लगा रेडियो भाई,
बटन दबाते ही जिसमें से गाने की धुन आई!
इसमें परियाँ कैद पड़ी हैं,
गुन-गुन, गुन-गुन गाती हैं!
बाजीगर भी बंद पड़े-
जिनकी आवाजे़ं आती हैं!
खबर सुनाता एक, दूसरे ने है बीन बजाई!
जादू के डिब्बे-सा हमको लगा रेडियो भाई!
</poem>