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01:52, 28 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विष्णुकांत पांडेय
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>फोन उठाकर कुत्ता बोला-
सुनिए थानेदार,
घर में चोर घुसे हैं, बाहर
सोया पहरेदार!
मेरे मालिक डर के मारे,
छिप बैठे चुपचाप,
मुझको भी अब डर लगता है
जल्दी आएँ आप!
</poem>