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02:13, 28 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विज्ञान व्रत
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|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>रंग बाँटती फिरती है,
मौसम की धड़कन तितली!
इंद्रधनुष है पंखों में
बिजली तड़पे अंगों में,
फूलों पर लिखती फिरती
गीत प्यार के रंगों में।
जैसे कोई सपना हो-
किसी फूल का मन तितली!
मन में रेशम सी हलचल
तन में लहरों सी चंचल,
यूँ तो छलना लगती है
फिर भी है भोली निश्छल।
फूल-फूल पर लिखती है-
जीवन की थिरकन तितली!
कभी पास में आती जब
मेरे पास ठहरती कब,
छूती नहीं जरा भी कुछ
टॉफी, बिस्कुट रक्खें सब।
ये क्या, सब कुछ छोड़ चुने-
फूलों का आँगन तितली!
</poem>