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02:34, 28 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वसु मालवीय
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|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>मम्मी की भी मम्मी हैये
अपनी प्यारी नानी,
दुलरा देती जब हम करते-
हैं कोई शैतानी।
नहीं मारती, नहीं डाँटती
बिल्कुल सीधी सादी,
उतनी ही बुढ़ी है, जितनी-
बूढ़ी मेरी दादी।
लोरी गाकर कभी सुलाती-
या फिर परी कहानी!
बाँच-बाँच लेती रामायण-
की पोथी घंटे भर,
खेल-कूद कर गुड़िया लौटी
मिट्टी पोते मुँह पर।
हँसती-हँसती मुँह धुलवाती
नानी लेकर पानी!
झुर्री पड़े गाल हैं उसके
बाल मुलायम रेशम,
नकली दाँत लगाए नानी
हमको बाँटे चिंगम।
पेपर पढ़ती लेकर ऐनक
तिरछी सधी कमानी!
</poem>