789 bytes added,
05:24, 28 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बालकवि बैरागी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बड़े सवेरे सूरज आया,
आकर उसने मुझे जगाया,
कहने लगा, ‘बिछौना छोड़ो
मैं आया हूँ सोना छोड़ो!’
मैंने कहा, ‘पधारो आओ,
जाकर पहले चाय बनाओ,
गरम चाय के प्याले लाना
फिर आ करके मुझे जगाना,
चलो रसोईघर में जाओ
दरवाजे पर मत चिल्लाओ।’’
-साभार: मेला, अप्रेल, 1980
</poem>