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18:54, 29 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अहद प्रकाश
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<poem>नीम की छैयाँ ता-था-थैया
आई गिलहरी देखो भैया,
दौड़ रही है, नाच रही है
खेल रही है खो-खो भैया!
ऊपर आती, नीचे जाती
डाली पर झटपट चढ़ जाती,
कुतर रही है जाने क्या यह
आहट पाते ही छिप जाती!
चंचल, सुंदर, सबसे न्यारी
प्यारी-प्यारी सरल गिलहरी,
माँ को बहुत भली लगती है
सिया-राम की चपल गिलहरी!
</poem>