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21:30, 29 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बंदर गया खेत में भाग,
चुट्टर-मुट्टर तोड़ा साग।
आग जला कर चट्टर-मट्टर,
साग पकाया खद्दर-बद्दर।
सापड़-सूपड़ खाया खूब,
पोंछा मु हूँह उखाड़ कर दूब।
चलनी बिछा, ओढ़कर सूप,
डटकर सोए बंदर भूप!
</poem>