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00:34, 30 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सफ़दर हाशमी
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|संग्रह=
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<poem>बात की बात
खुराफत की खुराफात,
बेरिया का पत्ता
सवा सत्रह हाथ,
उसपे ठहरी बारात!
मच्छर ने मारी एड़
तो टूट गया पेड़,
पत्ता गया मुड़
बारात गई उड़।
-साभार: दुनिया सबकी
</poem>