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16:50, 1 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रामनरेश पाठक
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|संग्रह=
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<poem>महुए के पीछे से झाँका है चाँद
पिया आ
आँगन में बिखराए जूही के फूल
पलकों तक तीर आये सपनों के कूल
नयन मूँद लो, बड़ा बांका है चाँद
पिया आ
बाँट गयी सान्झिल हवाएं पराग
बांकी स्वर लौट गए, शेष वही राग
टेसू के फूल-सा टहका है चाँद
पिया आ
प्रीत से नहाया है तन का हिरन
चुपके से चुनता है क्वाँरी किरण
जीतो तो इससे लड़ाका है चाँद
पिया आ ।
</poem>