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घंटा बोला / पद्मा चौगांवकर

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<poem>टन-टन-टन-टन
घंटा बोला,
हो गई छुट्टी
कहकर डोला!

झट कंधों पर,
लटके बस्ते,
बच्चे भागे,
घर के रस्ते!

अब घंटा
मन में पछताया,
नाहक अपना
गाल बजाया।

नहीं करूँगा-
छुट्टी कल से,
क्यूँ यूँ सूने
रहें मदरसे!
</poem>
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