657 bytes added,
15:42, 2 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पद्मा चौगांवकर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>टन-टन-टन-टन
घंटा बोला,
हो गई छुट्टी
कहकर डोला!
झट कंधों पर,
लटके बस्ते,
बच्चे भागे,
घर के रस्ते!
अब घंटा
मन में पछताया,
नाहक अपना
गाल बजाया।
नहीं करूँगा-
छुट्टी कल से,
क्यूँ यूँ सूने
रहें मदरसे!
</poem>