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<poem>अम्माँ टूटे दाँतों वाला,
लंबी-लंबी बाहों वाला-
मुझे बता दो अरे, कौन यह,
लाठी लेकर चलने वाला!

बेटा यह जो पहन लँगोटी
खड़ा कमर में घड़ी लगाए!
फूलों का गुच्छा लेकर के
जिसको देने बच्चे आए।

वह हम सबका प्यारा बापू
उसने दी हमको आजादी,
लोगों को है सुखी बनाया
देखो सबको पहना खादी।

अम्माँ क्या मैं पहन लँगोटी
प्यारा बापू बन जाऊँगा?
दाँत हमारे भी टूटे हैं,
क्या मैं बापू कहलाऊँगा!
</poem>
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