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मोटा मेढक / निरंकार देव सेवक

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<poem>मोटा मेढक एक सड़क पर,
कहता जाता था टर-टर-टर!
शाम हुई घिर रहा अँधेरा,
बारह मील गाँव है मेरा,
घर तक नहीं पहुँच पाऊँगा!
रस्ते में ही लुट जाऊँगा!
</poem>
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