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20:56, 3 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चंद्रदत्त 'इंदु'
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<poem>एक था अट्टू, एक था बट्टू
एक था उनका घोड़ा,
अट्टू बैठा, बट्टू बैठा
तड़-तड़ मारा कोडा।
कोड़ा खाकर घोड़ा भागा
सँभल न पाया बट्टू,
गिरा जमीं पर, रोकर बोला-
घोड़ा बड़ा लिखट्टू!
</poem>