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01:31, 4 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जयप्रकाश भारती
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>पगलो मौसी सोती है,
सोते-सोते जगती है।
जगते-जगते सोती है,
पगलो मौसी रोती है।
रोते-रोते हँसती है,
हँसते-हँसते रोती है
पगलो मौसी मोटी है,
मोटी है जी, खोटी है।
कद में एकदम छोटी है
मानो फूली रोटी है।
</poem>