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03:56, 4 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवेंद्रकुमार
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>जल्दी आकर नाम लिखाओ,
पहले हँस कर जरा दिखाओ।
बच्चे जाते रोना भूल,
यह है हँसने का स्कूल!
पहले सीखो खिल-खिल खिलना,
बढ़कर गले सभी के मिलना।
सारे यहीं खिलेंगे फूल,
यह है हँसने का स्कूल!
झगड़ा झंझट और उदासी,
इनको तो हम देंगे फाँसी।
हँसी खुशी से झूलम झूल,
यह है हँसने का स्कूल!
</poem>