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15:46, 4 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुधा चौहान
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|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>हरे-भरे छिलकों का केला,
इससे भरा हुआ है ठेला!
फलवाला चिल्लाता ले लो,
मीठा हलुआ-सा है देखो!
बीज न गुठली इसमें पाओ,
छिलका छीलो गप से खाओ!
</poem>