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17:36, 4 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चंद्रपाल सिंह यादव 'मयंक'
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<poem>मिस्टर पाल, मिस्टर पाल,
गए खेलने को फुटबाल।
नाटे, मोटे मिस्टर पाल,
उस दिन दिखला गए कमाल।
मारी शाट् उड़ा फुटबाल,
खुद भी गिरे उछलकर पाल।
</poem>