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स्मृति / पृथ्वी पाल रैणा
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14:53, 5 अक्टूबर 2015
झुलसाए भी होंगे ।
धुल गये होंगे सभी शिकवे गिले
जब गगन में
मेघ
मेघ
उमड़ आए
जो
होंगे ।
सारी धरती धुल गई
वर्षा ऋतु में,
द्विजेन्द्र ‘द्विज’
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