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अजनबी / पृथ्वी पाल रैणा
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15:00, 5 अक्टूबर 2015
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मैं
ही वह मैं नहीं
अजनबी
हूँ,
या यह शहर पराया है ?
मेरी आँखों में उमड़ते हुए
द्विजेन्द्र ‘द्विज’
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