Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामानुज त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामानुज त्रिपाठी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बड़ी सलोनी एक चिरैया
भोली-भोली-सी गौरैया।
कभी किचन में
कभी मुँडेरे,
बैठ-बैठ कर
रोज सबेरे-
चीं-चीं-चीं-चीं बोल-बोल कर
मुझे जगाती, जागो भैया।
धीरे - से -
आँगन में आती,
दाने चुन-चुन
कर उड़ जाती-
नाच-थिरक खिड़की के ऊपर
करने लगती-‘ताता थैया!’
नींबू की
डाली-डाली पर,
गेहूँ की सुंदर
बाली पर-
गाती मीठे-मीठे स्वर में
फुदक-फुदककर छंद सवैया!

-साभार: नंदन, जुलाई, 1996, 37
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits