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कैमरा / रमेश कौशिक

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<poem>चाहे अपने दाँत दिखाओ
चाहे तुम मुसकाओ,
चाहे तुम आँसू टपकाओ
चाहे गुस्सा खाओ।

चाहे नाचो, चाहे गाओ
चाहे कूदो-छलो,
चाहे तैरो, नाव चलाओ
और बर्फ पर फिसलो।

चाहे फूलों को दुलराओ
चाहे तितली पकड़ो,
चाहे करो प्यार से बातें
चाहे जैसे अकड़ो।

जैसे होंगे, वैसा ही मैं
खींचूँ चित्र तुम्हारा,
सच्चाई को दिखलाना है
केवल काम हमारा।
</poem>
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