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हँसता गाता चल / रामानंद 'दोषी'

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<poem>ऊँचा ही ऊँचा फहराता,
झंडा हिंदुस्तान का,
मेरे देश महान का!
चल भई, हँसता-गाता चल,
सबको गले लगाता चल।
पर यदि शीश उठाए काँटा,
आगे बढ़कर उसे कुचल।
हमको यह संदेश सुनाता,
ऊँचा ही ऊँचा फहराता,
झंडा हिंदुस्तान का!

पर्वत की चोटी पर चढ़,
सागर मथकर आगे बढ़।
कोई दुश्मन बचे न तेरा,
तोड़ दुश्मनी के सब गढ़।
यह आदेश हमें दे जाता,
ऊँचा ही ऊँचा फहराता,
झंडा हिंदुस्तान का!

सच की होती जीत सदा,
सच ही सच्चा मीत सदा।
रहते सच वालों के होठों,
पर मस्ती के गीत सदा।
हमको यह विश्वास दिलाता,
ऊँचा ही ऊँचा फहराता,
झंडा हिंदुस्तान का!
</poem>
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