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मेरे मामा / सरोजिनी अग्रवाल

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<poem>मेरे मामा बड़े निराले,
थोड़े गोरे थोड़े काले।

मुझको कहते गड़बड़झाला
पर खुद पूरे गरम मसाला,
जाने कितने तोते पाले!
मेरे मामा बड़े निराले!

काला-काला पहने चश्मा
दिखा करिश्मा देते चकमा,
चाबी बिना खोल दें ताले!
मेरे मामा बड़े निराले।

गाते मीठा-मीठा गाना
कभी डांस करते मनमाना।
लंबे बाल जरा घुँघराले!
मेरे मामा बड़े निराले!


जो गुस्सा हो जाएँ मामी
झट से देते, उन्हें सलामी,
बन जाते हैं भाले-भाले।
मेरे मामा बड़े निराले!
</poem>
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