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मुर्गे की शादी / श्रीप्रसाद

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<poem>ढम-ढम, ढम-ढम ढोल बजाता
कूद-कूदकर बंदर,
छम-छम घुँघरू बाँध नाचता
भालू मस्त कलंदर!
कुहू-कुहू-कू कोयल गाती
मीठा मीठा गाना,
मुर्गे की शादी में है बस
दिन भर मौज उड़ाना!
</poem>
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