Changes

मेरी अलमारी / मोहम्मद फहीम

1,291 bytes added, 14:29, 7 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद फहीम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहम्मद फहीम
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बहुत बड़ी मेरी अलमारी,
चीजें उसमें रक्खीं सारी!

सबके ऊपर रक्खा बस्ता,
और बगल में है गुलदस्ता।
पास उसी के फोटू मेरा,
रसगुल्ले-सा दिखता चेहरा।

नीचे गाड़ी चाबी वाली,
गुड्डा रोज़ बजाए ताली।
रक्खी हँसने वाली गुड़िया,
खट-मिट्ठे चूरन की पुड़िया।
रंग-बिरंगी कई किताबें,
कुछ हैं बिल्कुल नई किताबें!

कुछ तो मेरा ज्ञान बढ़ातीं
कुछ है मेरा मन बहलाती!
बैट-बॉल है सबसे नीचे,
है मोबाइल-गेम भी पीछे!

तुम्हें दिखा दीं चीजे़े सारी,
अच्छा, बंद करूँ अलमारी,
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits