1,002 bytes added,
14:48, 7 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=साजिद खान
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>नानी जी के बिस्तर की
सुन लो, बात निराली है,
रखी हुईं ढेरों चीजें
जगह न कोई खाली है।
कढ़ा हुआ बटुआ प्यारा
दाँत खोदनी छोटी-सी,
दूध धुला रूमाल रखा
तकिया फूली, मोटी-सी।
चंदन की है छड़ी रखी
मुठिया चाँदी वाली है।
दियासलाई की डिब्बी
ताकत के टानिक रक्खे,
पानदान प्यारा-प्यारा
और ढेर सारे सिक्के।
दुबकी बिल्ली बैठी है
जो नानी ने पाली है।
</poem>