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|रचनाकार=साजिद खान
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<poem>नानी जी के बिस्तर की
सुन लो, बात निराली है,
रखी हुईं ढेरों चीजें
जगह न कोई खाली है।

कढ़ा हुआ बटुआ प्यारा
दाँत खोदनी छोटी-सी,
दूध धुला रूमाल रखा
तकिया फूली, मोटी-सी।

चंदन की है छड़ी रखी
मुठिया चाँदी वाली है।

दियासलाई की डिब्बी
ताकत के टानिक रक्खे,
पानदान प्यारा-प्यारा
और ढेर सारे सिक्के।

दुबकी बिल्ली बैठी है
जो नानी ने पाली है।
</poem>
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