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22:02, 7 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रामनरेश पाठक
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<poem>बजी डफली रे
गूँजा वन, पर्वत
गूँजी घाटी रे
बजी डफली रे
उमगी वन-पाँखी
उमगी छाती रे
बजी डफली रे
चंदा सुधि बिसरा
नन्हा मन बिखरा
बोली हँसुली रे
बजी डफली रे
पत्थर परदेसी
पग पग पर हहरा
बजी बाँसुरी रे
बजी डफली रे !
</poem>