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16:34, 13 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=स्नेहमयी चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>मेरे अंदर की
अबोध लड़की
चुपचाप खिसक गई
जाने कहां
कविताओं में अपने को
अभिव्यक्त कर पाने में असमर्थ
फूट-फूट कर रो रही हूं मैं यहां!
</poem>
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