563 bytes added,
01:34, 16 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरप्रीत कौर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatStreeVimarsh}}
<poem>लड़की तुम नहीं थी
इसके पास
इसकी देह में उतरा था
समन्दर
उसी रोज
बर्फ़ और पानी हुआ था वह
उसने चाहा था
तुम्हारा डूबना
लड़की तुमने क्यों नहीं चाहा डूबना!</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader