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01:34, 16 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरप्रीत कौर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>वह आएगी
और धर देगी
अपनी उदासी तुम्हारे भीतर
रात गए
तुम गाओगे उसके प्रेम और
विद्रोह के गीत
कैसे जानेगा कोई
कि तुम्हारी कठोरता में
धर दी गई है
एक पूरी की पूरी लड़की!
</poem>
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