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11:16, 7 नवम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रचना शेखावत
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
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<poem>
सासरै मांय
एकर रूसी
अर सोयगी भूखी
धापां।
अजै तांई
पाछी नीं रूसी कदैई
सोई धायोड़ी
मन री भूखी
कै कदै रूसै
अर मां जियां
मनावै कोई
दो टूक खुआणै।
</poem>
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