1,128 bytes added,
15:27, 10 नवम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सत्य मोहन वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>कश्तियों वाला सफर था और हम थे
नाख़ुदाओं का भी दर था और हम थे
बारिशों का, बादलों का और बिजली का
बादबानों पर कहर था और हम थे
सोच में डूबे हुए रहते थे क्या करते
धड़ के ऊपर एक सर था और हम थे
शाम से तन्हाईयाँ आकर जकड़ती थीं
मुब्तला यादों से घर था और हम थे
घूमती थी ज़िन्दगी कश्कोल लेकर के
आब ओ दाना मुन्तज़र था और हम थे
थी बहुत दिल में उडानों की हवस
हाथ में तितली का पर था और हम थे.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader