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मुझे लिखने मत देना / मोहिनी सिंह
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19:06, 25 नवम्बर 2015
अब उलझी लकीरों के जंजाल में
निचोडें न अश्रु-सिंचित ह्रदय के रेशों को
काव्य-रसों के
ख्याल
खयाल
में
निर्झर बहती जो ले जाए स्वर्ग तक
उस वैतरणी
पे
पर
बाँध कोई बंधने मत देना
इस बार तुम मुझे लिखने मत देना
Sharda suman
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