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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चनसोहनलाल द्विवेदी
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कई लोग इस रचना को [[हरिवंशराय बच्चन|हरिवंशराय बच्चन जी]] द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन श्री अमिताभ बच्चन ने अपनी [https://www.facebook.com/AmitabhBachchan/posts/1153934214640366 एक फ़ेसबुक पोस्ट] में स्पष्ट किया है कि यह रचना [[सोहनलाल द्विवेदी|सोहनलाल द्विवेदी जी]] की है।
<poem>
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
</poem>
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