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12:27, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू'
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<poem>चलु-चलु कनियाँ अय नवकनियाँ लेल गाबी परिछन गीत
आनक बेटी एली सासुर
गदरायल देओर भैंसुर
हासक हरमुनियाँ ल' ससुर देखाबथि बापक सनक पिरीत
चलु-चलु कनियाँ अय नवकनियाँ लेल गाबी परिछन गीत ..
बहुआसिन मोन उदासे
नहि हुअनि मलान सभ आशे
भास बढाबू अय परकन्या केर मोन ने होमय तीत
चलु-चलु कनियाँ अय नवकनियाँ लेल गाबी परिछन गीत ..
नहि गारि ने ओलहन देबनि
अपनहुँ बेटीकेँ देख लेबनि
पहिल सगुन ई परिछन आत्म नेहसँ लिऔन हियाकेँ जीत
चलु-चलु कनियाँ अय नवकनियाँ लेल गाबी परिछन गीत ..
आशीष भविष्यक आशा
तखने पूरत प्रत्याशा
मरौत उघारिने देखू ग'र सटाक' मायक रूपमे मीत
चलु-चलु कनियाँ अय नवकनियाँ लेल गाबी परिछन गीत ..
नारी सिनेह सरोवरि
बदलामे भेंटत दोबरि
आँगन संगम थिक नहि गंगा नहि यमुना दुहूक जीत
चलु-चलु कनियाँ अय नवकनियाँ लेल गाबी परिछन गीत </poem>
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