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13:49, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>कलाकार
मन का राजा होता है
वह जब चाहे
राजा की तरह सोच सकता है
राजा के यह बस में नहीं
सोच सके
एक कलाकार की तरह
कभी-कभी तो कलाकार
भगवान का भेष धर लेता है
भला और किसके बस में है
ऐसी कलाकारी !
</poem>
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