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14:42, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राग तेलंग
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<poem>तुम्हारी घड़ी से
अपनी घड़ी मिला रहा हूं
दोनों की एक राह बना रहा हूं
क्या यह रास्ता
तुम्हारी आत्मा तक भी जाता है ?
</poem>
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